भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड में इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए नए नियम लागू किए हैं। 1 नवंबर, 2024 से लागू होने वाले इन नियमों के तहत, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के डिज़ाइनटेड पर्सन्स, ट्रस्टी और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा म्यूचुअल फंड यूनिट्स में किए गए सभी लेनदेन की जानकारी SEBI को देनी होगी।
यह कदम म्यूचुअल फंड में पारदर्शिता बढ़ाने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए उठाया गया है। SEBI का मानना है कि इन नियमों से म्यूचुअल फंड में इनसाइडर ट्रेडिंग और फ्रंट-रनिंग जैसी गतिविधियों पर लगाम लगेगी।
इनसाइडर ट्रेडिंग क्या है?
इनसाइडर ट्रेडिंग एक गैरकानूनी गतिविधि है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी पद या जानकारी का गलत फायदा उठाकर शेयर बाजार में मुनाफा कमाता है। ऐसे व्यक्ति को “इनसाइडर” कहा जाता है, जिनके पास गैर-सार्वजनिक जानकारी होती है जो किसी कंपनी के शेयर की कीमतों को प्रभावित कर सकती है।
इनसाइडर ट्रेडिंग के नकारात्मक प्रभाव:
- बाजार में विश्वास का कम होना: इनसाइडर ट्रेडिंग से शेयर बाजार में निवेशकों का विश्वास कम होता है। लोगों को लगता है कि बाजार में कुछ लोगों को अनुचित लाभ मिल रहा है, जिससे वे निवेश करने से हिचकिचाते हैं।
- बाजार में हेरफेर: इनसाइडर ट्रेडिंग से बाजार में हेरफेर हो सकता है और शेयर की कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ या घट सकती हैं।
- निवेशकों को नुकसान: इनसाइडर ट्रेडिंग से सामान्य निवेशकों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि उन्हें सही जानकारी नहीं होती है और वे गलत निर्णय ले सकते हैं।
SEBI द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग से निपटने के लिए उठाए गए अन्य कदम:
- कड़े नियम: SEBI ने इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए हैं और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
- निगरानी: SEBI शेयर बाजार में होने वाले लेनदेन पर नज़र रखता है और संदिग्ध गतिविधियों की जांच करता है।
- जागरूकता: SEBI निवेशकों को इनसाइडर ट्रेडिंग के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाता है।
SEBI के ये नए नियम म्यूचुअल फंड में इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं और यह निवेशकों के हितों की रक्षा करने में मदद करेंगे।
नए नियमों की मुख्य बातें:
- लेनदेन की जानकारी का खुलासा: AMC को अपने डिज़ाइनटेड पर्सन्स, ट्रस्टी और उनके परिवार के सदस्यों के म्यूचुअल फंड यूनिट्स में किए गए सभी लेनदेन की जानकारी तिमाही आधार पर SEBI को देनी होगी।
- लेनदेन की सीमा: यदि किसी लेनदेन या लेनदेन की श्रृंखला का मूल्य ₹15 लाख से अधिक है, तो संबंधित व्यक्ति को दो कार्यदिवसों के भीतर AMC के कंप्लायंस ऑफिसर को इसकी सूचना देनी होगी।
- छूट: कुछ योजनाओं, जैसे कि इंडेक्स फंड और ETF, को इन नियमों से छूट दी गई है।
नियमों का उद्देश्य:
SEBI के अनुसार, इन नियमों का उद्देश्य म्यूचुअल फंड में इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है।
निवेशकों के लिए क्या महत्व है?
ये नियम निवेशकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये म्यूचुअल फंड में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देंगे। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और वे बिना किसी डर के म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकेंगे।