मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर भगदड़, कई यात्री घायल, दिवाली की खुशियां मातम में बदलीं

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By Amit T

मुंबई के बांद्रा टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर रविवार सुबह उस समय भगदड़ मच गई जब 22921 बांद्रा-गोरखपुर एक्सप्रेस ट्रेन में चढ़ने के लिए यात्रियों की भीड़ बेकाबू हो गई। इस हादसे में कम से कम नौ यात्री घायल हो गए, जिन्हें भाभा अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

यह घटना सुबह 5:56 बजे प्लेटफॉर्म नंबर एक पर हुई। दिवाली की छुट्टियों के कारण स्टेशन पर यात्रियों की भारी भीड़ थी। बताया जा रहा है कि ट्रेन को यार्ड से प्लेटफॉर्म पर लाया गया तो उसके डिब्बों के दरवाजे अंदर से बंद थे। इस दौरान ट्रेन में चढ़ने के लिए यात्रियों में धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे यह हादसा हुआ।

प्रत्यक्षदर्शियों के बयान:

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “ट्रेन आते ही लोग उसमें घुसने के लिए बेताब हो गए। भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। लोग एक-दूसरे पर गिर रहे थे, चीख-पुकार मची हुई थी।”

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, “यह बहुत ही भयावह दृश्य था। मैंने अपनी आँखों के सामने लोगों को गिरते और चोटिल होते देखा। रेलवे अधिकारियों को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी।”

रेलवे अधिकारियों की प्रतिक्रिया:

रेलवे अधिकारियों ने घटना पर दुख व्यक्त किया है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। उन्होंने कहा कि घटना की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पश्चिम रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, “हम इस घटना को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। हम भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। दिवाली के दौरान अतिरिक्त भीड़ को देखते हुए हमने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी थी, लेकिन फिर भी यह हादसा हो गया।”

घायलों की जानकारी:

घायलों की पहचान शब्बीर अब्दुल रहमान (40), परमेश्वर सुखदर गुप्ता (28), रविंद्र हरिहर चुमा (30), रामसेवक रविंद्र प्रसाद प्रजापति (29), संजय तिलकरम कंगाय (27), दिव्यांशु योगेंद्र यादव (18), मोहम्मद शरीफ शेख (25), इंद्रजीत सहानी (19) और नूर मोहम्मद शेख (18) के रूप में हुई है।

भाभा अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि सभी घायलों का इलाज चल रहा है। दो यात्रियों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जबकि बाकी सभी खतरे से बाहर हैं।

यह घटना दिवाली के दौरान रेलवे स्टेशनों पर होने वाली भीड़भाड़ की समस्या को एक बार फिर उजागर करती है। रेलवे अधिकारियों को त्योहारों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए और अधिक प्रभावी उपाय करने की ज़रूरत है।

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