बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बावजूद, उसके बाद आई ‘हॉकिश’ टिप्पणी ने भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित किया, जिससे प्रमुख सूचकांकों में गिरावट देखी गई। फेडरल रिजर्व के इस रुख ने निवेशकों को चौंका दिया है और वैश्विक बाजारों में बेचैनी का माहौल बना दिया है।
बाजार का हाल:
सुबह के कारोबार में, BSE Sensex 800 अंक से ज़्यादा लुढ़क गया। 10 बजे, Sensex 804.72 अंक या 1% गिरकर 79,377.48 पर और Nifty 50 242.55 अंक या 1% गिरकर 23,956.30 पर था। यह गिरावट मुख्यतः अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले के बाद आई, जिसने ब्याज दरों में तो कटौती की, लेकिन भविष्य में नीतिगत ढील में धीमी गति से बदलाव का संकेत दिया, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई।
फेडरल रिजर्व का ‘हॉकिश’ रुख:
फेड ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की, जो बाजार की उम्मीदों के अनुरूप था। हालांकि, फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया कि 2025 तक ब्याज दरों में कोई कमी नहीं की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाने के लिए अभी और कदम उठाने की ज़रूरत हो सकती है। इस हॉकिश रुख ने निवेशकों को चौंका दिया और वैश्विक बाजारों में गिरावट का माहौल बना।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली:
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) भारतीय शेयरों की बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि फेड के हॉकिश रुख के कारण विदेशी निवेशक अमेरिकी बाजारों में ज़्यादा रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे वे भारतीय बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं।
कच्चे तेल की कीमतें:
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है, जिसका असर शेयर बाजार पर भी दिख सकता है। तेल की कीमतों में इज़ाफ़ा मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकता है, जिससे फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में और वृद्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
IPO गतिविधियां:
हालांकि, बाजार में गिरावट के बावजूद, IPO गतिविधियां तेज रही हैं। DAM Capital Advisors, Transrail Lighting, Concord Enviro Systems, Sanathan Textiles, और Mamata Machinery सहित 5 IPO आज सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेंगे। Inventurus Knowledge Solutions और Yash Highvoltage IPOs की लिस्टिंग होगी। यह IPO गतिविधियां बाजार में कुछ सकारात्मकता ला सकती हैं।
आगे का दृष्टिकोण:
फेड की हॉकिश टिप्पणी और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में दबाव बना रह सकता है। हालांकि, घरेलू कारकों, जैसे मजबूत आर्थिक वृद्धि और कंपनियों के अच्छे नतीजों से बाजार को समर्थन मिल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि में भारतीय बाजार में तेजी बनी रहेगी, लेकिन अल्पावधि में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
निवेशकों को सलाह:
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार में सावधानी बरतें और लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान केंद्रित करें। किसी भी निवेश का फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से जरूर सलाह लें। बाजार की गतिविधियों पर नज़र रखें और अपने पोर्टफोलियो में समय-समय पर ज़रूरी बदलाव करते रहें।